यादें
आईना है
बीती
जिन्दगी का
मौसम-बेमौसम
सुबह
या शाम
जब
होते हैं हम
तन्हा, अकेले
करवटें
लेती हैं
अक्सर-यादें
अलग-अलग
रंगों में रंगे
अतीत
के तमाम रंग
बिखर
जाते हैं
हमारे
आसपास
आंखों
के सामने
उभरने
लगती हैं
एक-एक
कर
जिन्दगी
के
बही-खाते
में दर्ज
सुख-दुख
की लकीरें
जानी-अनजानी
चाहतें
पल-पल
बदलते
रिश्तों
की शक्लें
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बहुत खूब ...!
ReplyDeleteहार्दिक आभार...
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