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Saturday, 29 November 2014

तुम दिव्य वृन्दावन सी


त्वं जीव शरदः सहस्रम्

चाँद-तारों ने तुमको गगन से निहारा 
मंगलमय हो जन्मदिन अक्षिता तुम्हारा 

हरपल हँसती रहो तुम, मुस्कुराती रहो 
आँगन में पंछियों सी, चहचहाती रहो 
तुमसे सुरभित हुआ है, मन उपवन सारा 

तुम दिव्य वृन्दावन सी, घर गोकुल हमारा 
तुम कान्हा की मुरली, यमुना की धारा 
तुमहीं हमारी खुशियाँ, सुख चैन हमारा

© हिमकर श्याम  

[हमारी प्यारी बिटिया (भतीजी) अक्षिता सुदिति (कीर्ति) का प्रथम जन्मदिन 22-11-2014 को था. बिटिया के लिए एक छोटी सी कविता लिखी थी, आज पोस्ट कर रहा हूँ. आप सब भी बिटिया अक्षिता को अपना स्नेहिल आशीर्वाद दें]

Friday, 29 November 2013

बिटिया


खुशबुएँ बिखरी हवा में
है चहक उसकी फिजा में
नर्म नाजुक इक कली सी
और चँचल है नदी सी
वो हँसे तो चाँद हरसे
आसमां से नूर बरसे
वो बला की खूबसूरत
ख़्वाब है या है हकीक़त
हर अदा उसकी सुहानी
वो लगे परियों की रानी
बज उठा है साज सारा
खिल गया आँगन हमारा
माँ लिए बाँहों के झूले
तक रही हर दर्द भूले
घर में रौनक लायी गुड़िया
है बड़ी अनमोल बिटिया    
 हिमकर श्याम



  
( 22  नवंबर को हमारे घर में एक नन्ही परी आई है, बिटिया आई है. रविकर, लता और बिटिया को ढेरों स्नेहाशीष...)