Showing posts with label आसरा. Show all posts
Showing posts with label आसरा. Show all posts

Saturday, 13 June 2015

ढूंढते फिर रहे सब ख़ुशी का पता


बाँधते हैं उमीदें, रखें हौसला
हमने सीखी परिंदों से ऐसी अदा

साथ लेकर इरादे सफ़र में चलो
राह रोके खड़ीं है मुखालिफ़ हवा

जिस तरफ देखिए हैं उधर ग़मज़दा
ढूंढते फिर रहे सब ख़ुशी का पता

यह तो अच्छा हुआ जो भुलाया उन्हें
उनको फुर्सत कहाँ जो रखें वास्ता

हम न समझे कभी ये सियासी जुबाँ
तर्जुमा अलहदा और बातें जुदा

मिट गयी वो बगावत की तहरीर सब
बिक गए चंद सिक्कों में जो रहनुमा

सूझता ही नहीं अब कोई रास्ता
है नज़र में मेरे बस ख़ला ही ख़ला

काम आती नहीं है दवा या दुआ
संगदिल ज़िंदगी पर अभी आसरा

© हिमकर श्याम

(चित्र गूगल से साभार)