[पितृ दिवस पर]
जीवन के आधार में
लयबद्ध संस्कार में
नाम में, पहचान में
झंझावतों, तूफान में
प्राणों पे उपकार पिता के
डाँट में, फटकार में
प्यार और दुलार में
बंदिशों, नसीहतों में
सबकी जरूरतों में
काँधे पर है हाथ पिता के
मनचाहे वरदान में
हर आँसू, मुस्कान में
अनजाने विश्वास में
सुरक्षा के अहसास में
मत भूलो अहसान पिता के
सादगी की सूरत में
करूणा की मूरत में
जीने के शऊर में
अम्मा के सिंदूर में
निश्छल हैं जज्बात पिता के
सिंधु सी लहक में
शौर्य की दमक में
अद्भुत संघर्ष में
अथाह सामर्थ्य में
अलहदा ख़्यालात पिता के
देह के आवरण में
नेह के आचरण में
रिश्तों के बंधन में
वंदन और नमन में
चरणों में कायनात पिता के ।
[पिता जी]
© हिमकर श्याम
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