Showing posts with label राधिका. Show all posts
Showing posts with label राधिका. Show all posts

Friday, 4 September 2015

रूप सलोना श्याम का


[जन्माष्टमी पर कुछ दोहे]

रूप सलोना श्याम का, मनमोहन चितचोर।
कहतीं ब्रज की गोपियाँ, नटखट माखन चोर।।

माँ यशोदा निरख रही, झूमा गोकुल धाम। 
मीरा के मन में बसे, जपे सुर घनश्याम।। 

सुधबुध खोई राधिका, सुन मुरली की तान।
अर्जुन की आँखें खुली, पाकर गीता ज्ञान।।

झूठे माया मोह सब, सच्चा है हरिनाम।
राग,द्वेष को त्याग कर, कर्म करें निष्काम।।       

पाप निवारण के लिए, लिया मनुज अवतार।
लीलाधारी कृष्ण की, महिमा अपरम्पार।।

© हिमकर श्याम

(चित्र गूगल से साभार)