नव संवत्, नव चेतना, नूतन नवल उमंग।
साल पुराना ले गया, हर दुख अपने संग।।
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा, वासन्तिक नवरात।
संवत्सर आया नया, बदलेंगे हालात।।
जीवन में उत्कर्ष हो, जन-जन में हो हर्ष।
शुभ मंगल सबका करे, भारतीय नव वर्ष।।
ढाक-साल सब खिल गए, मन मोहे कचनार।
वन प्रांतर सुरभित हुए, वसुधा ज्यों गुलनार।।
प्रकृति-प्रेम आराधना, सरहुल का त्योहार।
हरी-भरी धरती रहे, सुख-संपन्न घर बार।।
© हिमकर
श्याम
(चित्र गूगल से साभार)