Showing posts with label वासन्तिक नवरात. Show all posts
Showing posts with label वासन्तिक नवरात. Show all posts

Friday, 8 April 2016

नूतन नवल उमंग

[नव संवत्सर और सरहुल पर दोहे ]

नव संवत्, नव चेतना, नूतन नवल उमंग।
साल पुराना ले गया, हर दुख अपने संग।।

चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा, वासन्तिक नवरात।
संवत्सर आया नया, बदलेंगे हालात।।

जीवन में उत्कर्ष हो, जन-जन में हो हर्ष।
शुभ मंगल सबका करे, भारतीय नव वर्ष।।


ढाक-साल सब खिल गए, मन मोहे कचनार।
वन प्रांतर सुरभित हुए, वसुधा ज्यों गुलनार।।

प्रकृति-प्रेम आराधना, सरहुल का त्योहार।
हरी-भरी धरती रहे, सुख-संपन्न घर बार।।

© हिमकर श्याम

(चित्र गूगल से साभार)