Sunday, 15 December 2013

पुराने दिन, पुरानी बातें


पुराने दिन, पुरानी बातें
नहीं भूला सुहानी बातें

वो आंखों ही आंखों में होती
दिलों की तर्जुमानी बातें

बसी है आज भी यादों में
मुहब्बत की निशानी बातें

अजब थी रातें वो उल्फ़त की
जवां दिल की रूमानी बातें

दयारे दिल से गुजरी है
ये किसकी जाफ़रानी बातें

मुरादों की ज़मीं पे उतरीं
हैं कितनी कहकशानी बातें

गुज़श्ता वक़्त में ले आयीं
धड़कनों की कहानी बातें

कभी होती हैं फ़ानी बातें
कभी हैं शादमानी बातें

चलो अब भूल जाएं शिकवे
करें ताज़ा पुरानी बातें

गुज़श्ता : बीता हुआ, फ़ानी : नश्वर, शादमानी : खुशी


हिमकर श्याम

(चित्र गूगल से साभार)

Wednesday, 11 December 2013

आएंगे अच्छे दिन भी


आएंगे अच्छे दिन भी
जब दूर, बहुत दूर
क्षितिज पर
उगेगा एक ऐसा सूर्य
जिसके हाथों में होगा
प्रकाश पुंज
उम्मीदों का
बिखेरेगा वह
मुठ्ठी भर-भर कर
उजाला
सबके जीवन में
निकालेगा वह हमें
इस दलदल से
भर देगा मन में
उत्साह और विश्वास

दूर हो जाएंगी
रोजमर्रा की उलझनें
असमंजस और कमजोरियां
पीछे छूट जाएंगे
जीने के जद्दोजहद में
मिली पीड़ा के साक्षी
अंधेरे

तोड़ेंगे हम चुप्पी
और उठा सकेंगे
आवाज
सर्वव्यापी अन्याय के खिलाफ
लड़ सकेंगे तमाम
खौफनाक वारदातों से
और अपने इस
निरर्थक अस्तित्व को
कोई अर्थ
दे सकेंगे हम।

हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)

Monday, 9 December 2013

यादें और आईना




यादें आईना है
बीती जिन्दगी का
मौसम-बेमौसम
सुबह या शाम
जब होते हैं हम
तन्हा, अकेले
करवटें लेती हैं
अक्सर-यादें
अलग-अलग रंगों में रंगे
अतीत के तमाम रंग
बिखर जाते हैं
हमारे आसपास

आंखों के सामने
उभरने लगती हैं
एक-एक कर
जिन्दगी के
बही-खाते में दर्ज
सुख-दुख की लकीरें  
जानी-अनजानी चाहतें
पल-पल बदलते
रिश्तों की शक्लें


अतीत के अंधेरों से
निकल आते हैं बाहर
तमाम अर्थहीन चेहरे
कौन –अपना?
कौन –पराया?
बताती हैं यादें
कोई दुराव-छिपाव
नहीं रहता शेष  
यादें तब
नहीं रहती सिर्फ यादें
बन जाती हैं आईना
जिन्दगी के तमाम
उतारों-चढावों से
कराती है हमे रूबरू
कहे -अनकहे एहसास
निभे-अननिभे वादे
बुझी-अनबूझी प्यास
आधे-अधूरे ख्वाब
सब कुछ नजर आता है
साफ-साफ, हुबहू

कितना साम्य है
यादों और आईनों में
दिखायी तो देता हैं
उनमें सबकुछ
मगर हाथ नहीं आता
कुछ भी
यादें और आईना
दोनों ही-
खींच देती हैं अक्सर
बेबसी की लकीरें
मुश्किल है जैसे
आईने को झुठलाना
असंभव है वैसे
यादों को भुला पाना

हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)