Thursday, 28 May 2015
Sunday, 10 May 2015
ममता अनमोल
Thursday, 30 April 2015
एहसास के क्षण
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1.
सारी ख़ुशियाँ
कर देती अर्पण
माँ समर्पण
2.
माँ का आँचल
जैसे कड़ी धूप में
शीतल छाया
3.
साया बनके
सदा रहती साथ
माँ अहसास
4.
आशा-विश्वास
दया, क्षमा व त्याग
माँ अनुराग
5.
मन की बात
पढ़ लेती हैं माएँ
बिना बताये
6.
माँ की दुआएँ
हर लेती बलाएँ
धन्य हैं माएँ
7.
माँ वरदान
माँ से ही पहचान
करें सम्मान
1.
प्रसव पीड़ा
हँस कर सहती
नेह लुटाती
रात-रात जगती
माँ लोरी व थपकी
2.
माँ इबादत
माँ सा कोई न दूजा
माँ जरूरत
करुणा की मूरत
क़दमों में ज़न्नत
3.
शब्दों से परे
मातृत्व गुणगान
माँ अहसान
नहीं इसका मोल
ममता अनमोल
© हिमकर श्याम
(चित्र
मेरे भांजे अंशुमन आलोक की, जिसे ड्राइंग और पेंटिग का शौक़ है)
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राख, कितनी राख
बिखरी है चारों ओर!
ये सिसकियाँ-दहशतें, कांपता सन्नाटा
मलबे में दबी,
सड़ी-गली लाशें,
चिराइन गंध फैलाती
धू-धू करती चिताएँ
मौत निगल गई ज़िन्दगी को
देखते-देखते।
सन्नाटे को थर्राती एकाकी चीख़
बुझती हुई कांपती लौ
फिर सब कुछ शांत, निःशब्द, निस्पंद।
कैसा यह कहर,
तबाही का मंजर।
यह नीरवता,
मरघट सी उदासी
पढ़ रही मर्सिया
भोर के उजास के सपने देखती
हर ज़िन्दगी की
मौत पर।
विधाता दे दे मुझे
एहसास के कुछ क्षण
साहस और संबल
जीने के लिए।
© हिमकर श्याम
[तस्वीर रोहित कृष्ण की]
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