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Tuesday, 26 January 2016

ऐ वतन तेरे लिए यह जान भी क़ुरबान है


दिल में हिंदुस्तान है, सांसों में हिंदुस्तान है
ऐ वतन तेरे लिए यह जान भी क़ुरबान है

नाज़ हमको है बहुत गंगो जमन तहज़ीब पर
अम्न का पैगाम अपनी  खूबियाँ पहचान है

हिन्द  की  माटी  में  जन्मे  सूर, मीरा जायसी
मीर, ग़ालिब की जमीं ये, भूमि ये रसख़ान की

धर्म, भाषा, वेशभूषा है अलग फिर भी  मगर
मुल्क़ की जब बात होती सब लुटाते जान हैं

खूँ  शहीदों  ने बहाया, हँस  के फाँसी पर चढे
है अमिट पहचान उनकी, याद हर बलिदान है

सर  कटाना है गवारा पर झुकेगा सर नहीं
हर जुबाँ पर गीत क़ौमी, ये तिरंगा शान है

बाइबिल, गुरु ग्रन्थ साहिब, वेद ओ' क़ुरआन है
नाम  सबके  हैं अलग पर,  एक सबका ज्ञान है

राष्ट्र  का हो नाम ऊँचा,  क़ौमी यकजहती रहे
फ़िक़्र में सबके वतन हो, बस यही अरमान है

ख़ाक बन हिमकर इसी माटी में रहना चाहता
गूँजता  सारे  जहाँ  में  हिन्द का  यश गान है


© हिमकर श्याम


(चित्र गूगल से साभार)

Saturday, 15 August 2015

जय,जय, जय माँ भारती

चंद दोहे देश के उन वीर सपूतों/बालाओं के नाम जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई थी। उन राष्ट्रभक्तों/राष्ट्रनायकों के नाम जिन पर माँ भारती को नाज़ है, जिनकी वजह से हम सभी भारतीय कहलाने में गर्व महसूस करते हैं। 


बाबू कुँवर सिंह
सन सत्तावन का ग़दर, चमक उठी तलवार।
वीर कुँवर रण बाँकुरे, मानी कभी न हार।।
रानी लक्ष्मी बाई
धरती थी बुन्देल की, झाँसी का मैदान।
ख़ूब लड़ी थी शेरनी, दुश्मन थे हैरान।।
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु
हुए कुर्बान वतन पर, हँस कर दे दी जान।
भगत, राज, सुखदेव का, व्यर्थ न हो बलिदान।।
मिटे वतन पर नौजवाँ,  बने हिन्द की शान।
मिटा दमन का हर निशाँ,  गूँजा गौरव गान।।
खुदीराम बोस
अलख जगाया क्रान्ति कान्योछावर कर प्राण।
हँस कर सूली पर चढ़ासिखलाया बलिदान।।
चंद्रशेखर आज़ाद
देशभक्त को आज भी, करता भारत याद।
कोई वैसा ना हुआ, क्रान्तिवीर आज़ाद।।
लाल, बाल और पाल
लाल-बाल औ' पाल सेफिरंगी परेशान।
वीर पंजाब केसरीहिन्द देश की शान।।
नारा दिया स्वराज का, किया क्रांति ऐलान।
तिलक प्रणेता हिन्द के, राष्ट्रवाद पहचान।।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस
उठो, जवानों देश पर, हो जाओ कुर्बान।
आज़ादी के वास्ते, करो रक्त का दान।।
आज़ाद हिन्द फौज से, चढ़ी क्रांति परवान।
गर्व करे माँ भारती, करे राष्ट्र अभिमान।।
गुमनाम शहीदों के नाम 
मातृभूमि के वास्ते, अर्पित कर दी जान।
ऐसे वीर शहीद पर, करे राष्ट्र अभिमान।।
खत्म हुई अब दासता, हुआ मुल्क आज़ाद।
टूट गईं सब बेड़ियाँ, रहो शाद आबाद।।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी
गाँधी ने जग को दिया, सर्वोदय का ज्ञान।
सत्य, अहिंसा, सादगी, बापू की पहचान।।
देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद
प्रथम नागरिक देश के, दिल से मगर किसान
सहजता और सादगी, थी जिनकी पहचान
लाल बहादुर शास्त्री
तप कर कुंदन वह बने, थे गुदड़ी के लाल।
कद में छोटे थे मगर, कायम किया मिसाल।।
ए.पी. जे. अब्दुल कलाम
सहज-सरल गुणी महान, भला नेक इंसान।
राष्ट्र सबल सक्षम बने, मन में था अरमान।।
याद बहुत वह आएगा, प्रेरक शख्स कलाम।
सच्चे भारत रत्न को, झुक कर करो सलाम।।
माँ भारती के लिए
सब धर्मों को मान दे, भारत देश महान। 
जय,जय, जय माँ भारती, जाँ तुझ पर क़ुर्बान

और अंत में एक अपील

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 

© हिमकर श्याम 


Tuesday, 1 July 2014

थकन के सिवा




क्या सराबों में रक्खा थकन के सिवा
ज़िन्दगी क्या है रंजो मेहन के सिवा

अपनी किस्मत से बढ़कर, मिला है किसे
क्या मिला खूँ जलाकर घुटन के सिवा

अजनबी शहर में ठौर मिल जाएगा
पर सुकूं ना मिलेगा वतन के सिवा

हर कदम पे हुनर काम आता यहां
कौन देता भला साथ फ़न के सिवा

आप पर मैं निछावर करूँ, क्या करूँ
पास क्या है मेरे जान-ओ-तन के सिवा

कौन गुलशन में तेरे न बिस्मिल हुआ
किसको गुल रास आया चुभन के सिवा

ढूंढते सब रहे खुशबुओं का पता
बू--गुल है कहाँ इस चमन के सिवा

इस जहाँ में नहीं कोई जा--क़रार
इक फ़क़त आपकी अंजुमन के सिवा

यूँ तो शहरे निगाराँ बहोत हैं मगर
कोई जँचता नहीं है वतन के सिवा

जो मिला है यहां छूटता जाएगा
साथ में क्या रहेगा कफन के सिवा

फ़र्क़ अच्छे बुरे का न वो कर सका
उसने देखा न कुछ पैरहन के सिवा

सराबों : मृगतृष्णा, रंजो मेहन : दुःख और तकलीफ़, बिस्मिल : ज़ख़्मी, शहरे निगाराँ : महबूब शहर, पैरहन: लिबास

(अज़ीज़ दोस्त और शायर जनाब अरमान 'ताज़' जी का तहे दिल से शुक्रिया जिनकी मदद से यह गज़ल मुकम्मल हुई.)

© हिमकर श्याम
(चित्र गूगल से साभार)